सत्य वचन कलीसिया में एक कलीसिया-केन्द्रित सेमिनरी है जो पुरुषों को परमेश्वर के वचन का सेवक बनने का प्रशिक्षण देती है। अगुवे कलीसिया रोपण करने वालों को तैयार करना चाहते हैं, जो जहां भी परमेश्वर उनकी अगुवाई करे जाकर, स्वस्थ्य कलीसियाओं का रोपण करेंगे।
कलीसिया-केन्द्रित सेमिनेरी क्यों?
हम विश्वास करते हैं कि कलीसिया पासबानों को प्रशिक्षित करती है, तैयार करती है, और उत्पन्न करती है। पासबानीय सेवा और कलीसिया रोपण के लिए, जवानों को तैयार करने के लिए स्थानीय कलीसिया सबसे अच्छा संदर्भ है। सेमिनरी के छात्र स्थानीय कलीसिया के संदर्भ में उन बातों को सीखते और लागू करते हैं जो उन्हें पढ़ाया जाता है। प्रशिक्षण के दौरान, कक्षा में सीखने के साथ, वे कलीसिया के अगुवों द्वारा शिष्यता में बढ़ाए जाते हैं, और कलीसिया के जीवन में व्यवहारिक सेवा में भी सम्मिलित होते हैं। हर बैच की संख्या छोटी है (लगभग 12 छात्र) ताकि उनमें बेहतर निवेश हो सके, और वे बेहतर रीति से शिष्यता में बढ़े सकें।
समीक्षा
हम एम.डिव. स्तर का सेमिनरी प्रशिक्षण देते हैं। कक्षाएं अंग्रेज़ी में होती हैं और हिन्दी में अनुवाद किया जाता है। प्रशिक्षण के दौरान धर्मविज्ञान, पासबानीय सेवा, बाइबल की भाषाएं, सुव्यवस्थित धर्मविज्ञान, प्रचार, व्याख्याशास्त्र, परामर्श आदि विषय पढ़ाए जाते हैं। हम व्यवहारिक सेवा पर ज़ोर देते हैं, और सेमिनरी के छात्र कलीसिया के जीवन में सम्मिलित हैं। वे सदस्यों के घरों में जाते हैं, कलीसिया की सभाओं में भाग लेते हैं, जवानों को शिष्यता में बढ़ाते हैं, तथा कलीसिया के लोगों के साथ बाइबल पढ़ते हैं।
योग्यता
सेमिनरी नए जन्म पाए हुए तथा बपतिस्मा लिए हुए पुरुषों को स्वीकार करती है जो अपनी स्थानीय कलीसिया द्वारा भेजे गए हैं। उनको कम से कस स्नातक होना चाहिए। उनको हिन्दी की अच्छी जानकारी होना चाहिए और अंग्रेज़ी समझने के योग्य चाहिए। उनके अन्दर कलीसिया रोपण और पासबानीय सेवा की इच्छा होनी चाहिए।
वर्तमान
सेमिनरी प्रशिक्षण का हमारा पहला बैच 2017 में आरम्भ हुआ था। अभी हमारे पास 11 छात्रों का एक नया बैच है, जिन्होंने जुलाई 2020 से अगले तीन वर्षों के लिए बाइबल और धर्मविज्ञान प्रशिक्षण की पढ़ाई आरम्भ की है।
हमारे पहले सेमिनरी बैच ने 2020 में अपनी धर्मवैज्ञानिक पढ़ाई को पूरा कर लिया। छात्र विभिन्न कलीसियाओं में पासबानी प्रशिक्षण के लिए जाएंगे। अगुवे आशा करते हैं कि जैसे-जैसे वे कलीसिया में सेवा करते जाएं और परमेश्वर द्वारा दिए गए वरदानों को उपयोग करेंगे, स्थानीय कलीसिया इस बात को पहचान सके कि उनमें बाइबल के अनुसार प्राचीनों के गुण हैं (1 तीमुथियुस 2:1-7; तीतुस 1:5-9), और कि वे ऐसी कलीसियाओं का आरम्भ करेंगे और पासबानी करेंगे जो बाइबल के अनुसार स्वस्थ्य हैं।
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