देश के सबसे अधिक आवश्यकता में पड़े क्षेत्र की सेवकाई के कार्य में हमारे साथ सम्मिलित होइये

आवश्यकता

लखनऊ हमारे देश में सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य, उत्तर प्रदेश की राजधानी है। यह ऐसे राज्यों में से एक है जहाँ केवल 0.18% जनसंख्या ख्रीष्टीय के रूप में पहचानी जाती है। ख्रीष्टीय कहलाये जाने वाले लोगों में से जो लोग सच्चे सुसमाचार को जानते हैं, वह संख्या और भी छोटी है।

कई कलीसिया के अगुवों के पास प्रशिक्षण का अभाव है जिससे कि वे बाइबल का विश्वासयोग्यता से प्रचार नहीं कर पाते और कलीसियाएँ झूठी शिक्षा के प्रसार का विरोध करने में संघर्ष करती हैं।

इसके अतिरिक्त, सत्ता में रहने वालों और समाज के चरम तत्वों के कारण ख्रीष्टीयों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जिसके कारण सुसमाचार प्रचार करने की स्वतन्त्रता प्रायः सीमित हो जाती है।

दर्शन

हमारी इच्छा है कि हम पूरे देश में बाइबल आधारित स्वस्थ कलीसियाएँ देखें। हम अपनी स्थानीय कलीसिया के सन्दर्भ में बहुत से अगुवों को तैयार करना चाहते हैं जिससे कि बहुत सी स्थानिय कलीसियाओं की स्थापना हो सके, हम विश्वासयोग्य संसाधन प्रदान करना और सेमिनार एवं सभाओं का आयोजन करना चाहते हैं कि वैश्विक कलीसिया तैयार हो सके।

 हम विश्वास करते हैं कि कलीसिया कोई भवन नहीं है, परन्तु परमेश्वर के एकत्रित लोग हैं। फिर भी एक भवन होने से हमें सुरक्षा और सेवकाई के लिए स्वतंत्रता मिलती है। 

हम यह भी मानते हैं कि बाइबल सिखाती है कि स्थानीय कलीसिाय को सभी सेवकाइयोंं का केन्द्र होना चाहिए, विशेष रूप से कलीसिया के लिए अगुवों को बढ़ाने और प्रशिक्षित करने के लिए।

सत्य भवन - प्रशिक्षण एवं संसाधन केंद्र

अपने दर्शन को पूरा करने में सहायता हेतु, हम प्रार्थनापूर्वक एक प्रशिक्षण और संसाधन केन्द्र के निर्माण करने की योजना बना रहे हैं, जो हमारी स्थानीय कलीसिया और उसकी सेवकाइयों के लिए आधार होगा।

कलीसियाई सभा के लिए भवन 

इस प्रशिक्षण और संसाधन केन्द्र का प्राथमिक उपयोग "सत्य वचन चर्च" के सभा स्थल के रूप में होगा। यह वह स्थान है जहाँ साप्ताहिक कलीसियाई सभाएँ, बच्चों का सण्डे स्कूल, शिष्यता की कक्षाएँ, साप्ताहिक बाइबल अध्ययन व अन्य मुख्य कलीसियाई कार्यक्रम होंगे।

इसके लिए, हम आशा करते हैं कि हमें एक बड़ा सभा-कक्ष और कई छोटे-कक्ष चाहिए होंगे। कलीसिया में आने वाले लोगों के लिए इस केन्द्र में पर्याप्त गाड़ियाँ खड़ी करने का स्थान होगा, और साथ ही साथ इसमें पास्टरों के कार्यालय कक्ष भी होंगे। 

पासबानीय प्रशिक्षण केंद्र

हम विश्वास करते हैं कि आज संसार में परमेश्वर के कार्य करने का प्राथमिक ढंग, स्थानीय कलीसियाओं में बाइबल आधारित योग्य पुरूषों द्वारा बाइबल का विश्वासयोग्य प्रचार करना है। हमारी कलीसियाओं में इस दृढ़ विश्वास के साथ-साथ, हम अन्य स्थानीय कलीसियाओं के पास्टरों को तैयार करने का बोझ भी रखते हैं, विशेषकर ऐसे पास्टर जिनके पास उत्तम प्रशिक्षण नहीं पहुँच पाता है।

इस सुविधा का उपयोग स्थानीय कलीसिया के सन्दर्भ में पास्टरों के लिए एक दिवसीय सेमिनार या आवासीय सम्मेलनों (कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक) के माध्यम से नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के लिए किया जाएगा। पास्टरों को विभिन्न सिद्धान्तों और विषयों पर प्रशिक्षित किया जाएगा, विशेष रूप से जिससे उन्हें स्थानीय कलीसिया की स्पष्ट समझ हो और वे अपनी कलीसियाओं को परमेश्वर के वचन से खिलाने (चरवाही) के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित हों। शिक्षण सत्र, और प्रश्नोत्तर सत्रों के साथ, आगन्तुक पास्टर, सत्य वचन चर्च के सदस्यों और पास्टरों के साथ बातचीत भी करने पायेंगे। इसके अतिरिक्त, उन्हें परिसर में पुस्तकालय और पुस्तक-विक्रय केन्द्र के माध्यम से ईश्ववरविज्ञानिय दृष्टिकोण से विश्वासयोग्य संसाधन भी उपलब्ध होंगे।

वर्तमान में हम अन्य कलीसियाओं के पास्टरों, आगुवों और सदस्यों का अपनी कलीसिया में स्वागत करते हैं जो हमारी कलीसिया का निरीक्षण करने और हमारी कलीसिया की विभिन्न सेवकाइयों को देखने के लिए आते हैं। यह उनके लिए प्रत्यक्ष रूप से देखने का अवसर है कि एक कलीसिया जो बाइबल की दृष्टि से स्वस्थ होना चाहती है वह कैसी दिखती है और कलीसिया-आधारित सेवाएँ कैसी दिखती हैं। 

कलीसिया स्थापक (रोपक) प्रशिक्षण संस्थान/केन्द्र

भारत में ऐसे पुरुषों की बहुत आवश्यकता है जो अच्छी तरह से प्रशिक्षित हों, बाइबल के अनुसार योग्य हो, जो कलीसियाओं की स्थापना कर सकें, और बाइबल सिखाएँ और इसे लोगों के जीवन में लागू कर सकें। जबकि हम उन पुरुषों में निरन्तर निवेश करते रहेंगे जो पास्टरिय सेवा में हैं, हम अपनी कलीसिया-आधारित बाइबल-विद्यालय (सेमिनरी) के माध्यम से पुरुषों को पास्टर बनाने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं।

हम तीन से चार साल की अवधि तक छात्रों के जीवन में निवेश करने की आशा करते हैं, इस समय में उन्हें विश्व स्तरीय शिक्षण के साथ-साथ कलीसिया के जीवन और पास्टरिय सेवा का व्यावहारिक अनुभव भी प्राप्त होने में सहायता करेंगे। बाइबल-विद्यालय (सेमिनरी) के कक्ष के साथ-साथ पुस्तकालय का निर्माण भी संसाधन और प्रशिक्षण केन्द्र में ही होंगा ताकि बाइबल-विद्यालय स्थानीय कलीसिया से पृथक न हो, और जिससे कि बाइबल-विद्यालय के छात्र कलीसिया के अगुवों से सहजता से मिल सकें।

हमारे छात्रों के पहले समूह (बैच) ने 2020 में स्नातक किया है, और वर्तमान में हमारे पास छात्रों के दो समूह (बैच) हैं जो अपना प्रशिक्षण कर रहे हैं और एक नया समूह है जो बाइबल-विद्यालय में प्रवेश की तैयारी (प्री-सेमिनरी प्रशिक्षण) में हैं और ये नए समूह (बैच) का भाग होंगे।

शिष्यता केंद्र

नवयुवकों को शिष्य बनाने के क्रम में यह आवश्यक है कि उन्हें बाइबल के अनुसार विश्वासयोग्य पुरुष बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाए चाहे इनमें कलीसिया स्थापक हों, एल्डर हों या सदस्य हों।

हमारे पास युवा पुरुषों के लिए ईश्वरभक्ति और परिपक्वता में बढ़ने के लिए एक आवासीय शिष्यता कार्यक्रम है। हमारे पास कुछ युवक हैं जो हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद हमारे साथ आते हैं और हमारे साथ रहते हैं। वे हमारे साथ रहते हुए अपने नियमित विश्वविद्यालय से स्नातक या पश्च-स्नातक की पढ़ाई करते हैं, परन्तु सक्रिय रूप से कलीसिया का भाग होतें हैं और कलीसिया के अगुवों और सदस्यों द्वारा नियमित शिष्यता में बढ़ाए जाते हैं। हमें आशा है कि उनमें से कई अपनी डिग्री पूरी करने के बाद बाइबल-विद्यालय (सेमिनरी) में सम्मिलित होने के इच्छुक होंगे और साथ ही इसके योग्य भी होंगे।

पासबानी प्रशिक्षु केंद्र

हमारे पास उन सम्भावित कलीसिया स्थापकों के लिए पासबानीय प्रशिक्षु कार्यक्रम है जिन्होंने अपने ईश्वरविज्ञानीय प्रशिक्षण को पूरा कर लिया है। इस प्रशिक्षु कार्यक्रम के अन्तर्गत वे 1 या 2 वर्ष के लिए प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। इन प्रशिक्षुओं को कलीसिया का सदस्य बनना आवश्यक है।

हम आशा करते हैं कि उन्हें एक स्वस्थ्य कलीसिया का सदस्य बनने और कलीसिया विज्ञान के विषय में सीखने हेतु व्यावहारिक अवसर प्रदान करें। ये प्रशिक्षु विभिन्न पुस्तकों को पढ़कर उन पर विचार-विमर्श करते हैं तथा प्रशिक्षण और आराधना समीक्षा की सभाओं में सम्मिलित होते हैं। यह सब उन्हें ख्रीष्टीय सेवकाई में स्थानीय कलीसिया के महत्व और केन्द्रीयता को देखने और समझने में सहायता करता है।

संसाधन केंद्र

भारत में कलीसिया को प्रभावित करने का एक तरीका पास्टरों और ख्रीष्टीयों को ईश्वरविज्ञानीय रूप से विश्वासयोग्य संसाधन उपलब्ध कराना है। आगन्तुकों के पास बाइबल-विद्यालय के पुस्तकालय और पुस्तक-विक्रय केन्द्र तक पहुँच होगी।

इसके अतिरिक्त, केन्द्र हमारे कलीसिया के उस समूह के लिए भी आधार होगा जो कलीसिया की विभिन्न सेवाओं में सम्मिलित है। वे बाइबल आधारित ऑनलाइन संसाधन बनाने पर काम करते हैं। इसमें लेख, वीडियो, गाने और अन्य संसाधन सम्मिलित हैं। 
 
हमने अपनी कलीसिया की विभिन्न सेवाओं का संक्षेप में उल्लेख किया है।

एफटीटी (forthetruth.in) सत्य वचन चर्च का प्रकाशन मंत्रालय है। यह अंग्रेजी में गुणवत्ता और किफायती शीर्षक प्रकाशित करना चाहता है, अंग्रेजी से क्लासिक और समकालीन दोनों शीर्षकों को भारतीय स्थानीय भाषाओं में अनुवाद, प्रकाशित और वितरित करता है, और स्थानीय लेखकों द्वारा उत्पादित संसाधनों को विकसित, प्रकाशित और वितरित करता है। अब तक, फॉर द ट्रुथ ने अंग्रेजी, हिंदी और तेलुगु में 50 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं, जिनमें से कई पाइपलाइन में हैं। इसने हिंदी और तेलुगु में कुछ ऑडियोबुक का अनुवाद और प्रकाशन भी किया है। 

एमएसजे (margsatyajeevan.in) सत्य वचन चर्च का हिंदी मंत्रालय है। मंत्रालय हिंदी चर्च के नेताओं और विश्वासियों के आध्यात्मिक पोषण और बाइबिल के ज्ञान को बढ़ाने के लिए संसाधन बनाता है और प्रदान करता है। MSJ की एक वेबसाइट है जो लेख, वीडियो, गाने, ईबुक और ऑडियोबुक जैसे ऑनलाइन संसाधन मुफ्त में उपलब्ध कराती है।

आप कैसे सम्मिलित हो सकते हैं?

प्रार्थना कीजिए: कृपया सत्य वचन चर्च की सेवकाई और उसकी सेवाओं के लिए प्रार्थना करें।

हमसे मिलें: कृपया हमसे मिलने और आपसी प्रोत्साहन के लिए हमारे साथ फेलोशिप करने की योजना बनाएं।

इसके विषय में बताइए: कृपया दूसरों को हमारे लिए प्रार्थना करने, हमसे मिलने और विभिन्न संसाधनों और प्रशिक्षणों का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित करें।

दीजिए: यदि आप सक्षम हैं, तो कृपया प्रार्थनापूर्वक इस सेवकाई के लिए धन दीजिए।

तब यीशु ने उनके पास आकर कहा, "स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। इसलिए जाओ और सब जातियों के लोगों को चेले - बनाओ तथा उन्हें पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो, और जो जो आज्ञाएं मैंने तुम्हें दी हैं उनका पालन करना सिखाओ । और देखो, मैं युग के अन्त तक सदैव तुम्हारे साथ हूँ।

आनन्द के साथ तुम्हारे लिए सदा प्रार्थना करता हूँ, क्योंकि पहिले ही दिन से आज तक तुम सुसमाचार में मेरे सहभागी रहे हो।

हमारी कलीसिया की तस्वीरें

आप कैसे सम्मिलित हो सकते हैं?

आर्थिक सहयोग के द्वारा